इस सीरीज में होंगे 18HP से 36HP श्रेणी के ट्रैक्टर
कंपनी की तरफ से 18HP से 36HP की रेंज में 6 नए मॉडल इसी महीने से उपलब्ध होंगे। इन नए ट्रैक्टरों के नाम "9", से शरू है इसलिए इस सीरीज का नाम सीरीज 9 रखा गया है। इस सीरीज में 6 ट्रैक्टर है ,वीएसटी 918 (18.5 एचपी), वीएसटी 922 (22 एचपी), वीएसटी 927 (24 एचपी), वीएसटी 929 (28 एचपी), वीएसटी 932 (30 एचपी), वीएसटी 939 (36) आदि।
ये भी पढ़ें: वीएसटी टिलर्स ट्रैक्टर ने लॉन्च किया अगला जनरेशन 30 एचपी ट्रैक्टर सीरीज 9 VST की एक एडवांस कॉम्पैक्ट रेंज है। इन ट्रैक्टरों का निर्माण अत्याधुनिक तकनीकी से किया गया है जिससे की किसानों को कार्य करने में आसानी हो सके। इस नयी सीरीज का निर्माण खास कर बागवानी, बागों, पारंपरिक खेती और ढुलाई जैसे अन्य कार्यों के लिए किया गया है। ये नयी सीरीज आकांक्षी किसानों की सभी जरूरतों को पुरा करेगी।
नयी सीरीज के ट्रैक्टरों के फीचर्स और स्पेसिफिकेशन
इस नई सीरीज में आधुनिक फीचर्स है। इन ट्रैक्टरों में बहुत सारे नए फीचर्स है जैसे की स्वतंत्र पीटीओ , MID पीटीओ, रिवर्स पीटीओ, फुल्ली सिंक्रोमेश गियरबॉक्स, इलेक्ट्रो - हाइड्रोलिक्स कंट्रोल्स (EHC) इनके अलावा कई ट्रैक्टर मॉडलों में ड्यूल ट्रैक का भी ऑप्शन है। इस सीरीज की नई एडवांस तकनीकी चालक को अच्छा कण्ट्रोल और आराम प्रदान करेंगी। ट्रैक्टर्स में इलेक्ट्रो - हाइड्रोलिक्स कंट्रोल्स (EHC) फीचर होने से चालक एक बटन दबा कर उपकरणों को नियंत्रित कर सकता है। इन ट्रैक्टरों का narrow ट्रैक और छोटा टर्निंग रेडियस चालक को कम जगह में ट्रैक्टर को घुमाने की अनुमति देता है।
यह एक प्रकार का प्रयोग है, जिसको इंपीरियल कॉलेज लंदन में किया जा रहा है। यहां प्लांट मॉर्फोजेनेसिस की एक परियोजना के अंतर्गत वर्टिकल फार्मिंग को परिवर्तित करने के लिए इलेक्ट्रोड युक्त हाइड्रोजेल क्यूब्स का उपयोग किया जा रहा है। दरअसल, इस एक्सपेरीमेंट के दौरान इन ट्रांसल्यूसेंट क्यूब्स में उपस्थित नेटवर्क स्ट्रक्चर में तरलता को स्थिर बनाए रखा जाता है। बतादें कि इसके लिए इन हाइड्रोजेल क्यूब्स में बिजली के हल्के-हल्के झटके दिए जाते हैं। उसके पश्चात इसी की वजह से लैब में उपस्थित छोटी एयर टनल्स से हरी-हरी पत्तियां निकलती हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि यह तकनीक विश्वभर में फैल जाऐगी
वैज्ञानिकों का कहना है, कि यदि ये तकनीक सफल रही तो अति शीघ्र इसे विश्व भर में फैला दिया जाएगा। बतादें, कि वैज्ञानिकों द्वारा इस तकनीक को बेहद शानदार बताया जा रहा है। उनका कहना है, कि इसकी सहायता से वो वैश्विक खाद्य संकट से भी निपट सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है, कि इसके इस्तेमाल से सब्जियां केमिकल मुक्त होंगी जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी बेहतर होगा। साथ ही, भारत एवं चीन जैसे देश के लिए जहां पर आबादी अत्यधिक है ये तकनीक इनके लिए बेहद फायदेमंद होगी। किसान इस तकनीक की सहायता से अपने खेतों के साथ-साथ छोटी छोटी जगहों पर भी भरपूर मात्रा में सब्जियां उगा पाएंगे। यहां तक की अर्बन किसान जो टेरिस गार्डन में खेती करते हैं, उनके लिए भी यह तकनीक बेहद ही मददगार सिद्ध होगी।
इजराइल में बागवानी हेतु विभिन्न प्रोजेक्ट जारी किए जा रहे हैं
इजराइल में फल, फूल और सब्जियों की आधुनिक खेती के लिए बहुत सारे प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। कृषि के क्षेत्र में मदद करने के लिए भारत एवं इजराइल के बीच बहुत सारे समझौते भी हुए हैं। इन समझौतों में संरक्षित खेती पर विशेष तौर पर ध्यान दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजराइल से भारत के किसानों ने जो संरक्षित खेती के तौर तरीके सीखे हैं, उनकी वजह से किसी भी सीजन में कोई भी फल खाने को मिल जाता है। इस टेक्निक की सहायता से वातावरण को नियंत्रित किया जाता है। साथ ही, एक बेहतरीन खेती भी की जाती है।
वातावरण फसल के अनुरूप निर्मित किया जाता है
इसके अंतर्गत कीट अवरोधी नेट हाउस, ग्रीन हाउस, प्लास्टिक लो-हाई टनल एवं ड्रिप इरीगेशन आता है। बाहर का मौसम भले ही कैसा भी हो, परंतु इस तकनीक के माध्यम से फल, फूल और सब्जियों के मुताबिक वातावरण निर्मित कर दिया जाता है। इसके चलते किसान भाई बहुत सी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही, उन्हें बेहतरीन कीमतों में बेच रहे हैं। किसानों को बहुत सारी फसलों के दाम तो दोगुने भी मिल जाते हैं। जानकारों के मुताबिक, तो इस खेती को विश्व की सभी प्रकार की जलवायु जैसे शीतोष्ण, सम शीतोष्ण कटिबंधीय, उष्णकटिबंधीय इत्यादि में अपनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त संरक्षित खेती के चलते जमीन की उत्पादकता में भी काफी बढ़ोतरी होती है।